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Hindi_CPIML Manifesto 2024w_1.pdf (2.22 MB) | 2.22 MB |
प्रिय देशवासियो,
भारतवासी हमारे संविधान और संविधान द्वारा दी गयी बहुदलीय लोकतंत्र एवं संघीय ढांचे की व्यवस्था को स्थायी और सुरक्षित मान कर चल रहे थे. लेकिन 2024 के चुनाव ने हमारे सामने इसे बचाने की चुनौती पेश कर दी है. मोदी सरकार भारत को एक पार्टी राज्य में बदल देने पर आमादा है. दिल्ली के मौजूदा मुख्यमंत्री समेत दो मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और भ्रष्टाचार को कानूनी जामा पहनाने वाली असंवैधानिक इलेक्टोरल बॉण्ड योजना को निरस्त करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश की आलोचना की जा रही है.
दस सालों के मोदी-राज में भारत के संसदीय लोकतंत्र पर खतरे के बादल घने हो गये हैं. और अब संविधान पर हमला बढ़ाने के लिए सरकार 400 पार का बहुमत कैसे भी बना लेने की तिकड़में कर रही है. तीसरी बार मोदी की सरकार का मतलब संविधान और संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था का खात्मा होगा और हमारी सांस्कृतिक विविधता व आम नागरिक का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा.
सरकार अपने कॉरपोरेट शागिर्दों और गोदी मीडिया के दम पर हर असंवैधानिक कदम और निर्लज्ज तिकड़मों का सहारा ले रही है. हम, भारत के लोगों को अपने वोट की संवैधानिक ताकत का इस्तेमाल करते हुए तबाही के इस राज को खत्म कर एक मजबूत लोकतंत्र वाले भारत का पुर्ननिर्माण करना है.
भारत का भविष्य बनाने की इस निर्णायक जंग में अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल करें और तानाशाही को हरा कर लोकतंत्र को विजयी बनायें.
- केंद्रीय कमेटी
भाकपा(माले) लिबरेशन संसद के अंदर और बाहर निम्नलिखित सवालों पर जनता की आवाज को बुलंद करेगी. हमें विश्वास है कि इन मुद्दों को हल करके इण्डिया गठबन्धन, भाकपा(माले) जिसका घटक है, जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा.
चुनावों में बैलट पेपर से वोटिंग कराई जाय. ई.वी.एम. में गड़बड़ी की प्रबल आशंकायें हैं अत: इसे हटाया जाय.
चीफ इलेक्शन कमिश्नर्स एण्ड अदर कमिश्नर्स एक्ट 2023 को रद्द करके मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन पारदर्शी तरीके से सर्वोच्च न्यायालय की अनुशंसा के अनुरूप मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की सलेक्शन कमेटी द्वारा किया जाय.
राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च की सीमा निर्धारित होनी चाहिए.
मतदाताओं को चुने हुए जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार मिले.
चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा दलबदल किये जाने पर उनकी सदस्यता स्वत: ही समाप्त हो जानी चाहिए.
रोजगार, पोषण, स्वास्थ्य और रहने के लिए घर सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार बने.
भेदभावकारी सीएए-एनआरसी-एनपीआर कानून रद्द किया जाय.
समान नागरिक संहिता के विचार को पूरी तरह खारिज किया जाय.
आधार समेत बायोमेट्रिक पहचान वाली योजनाओं को खारिज करो. जन कल्याण की सभी योजनाओं को सार्वभौमिक बनाओ.
सेक्सुअल ओरिएन्टेशन, जेंडर आइडेंटिटी, विकलांगता, जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक भेदभाव विरोधी कानून बनाया जाय.
ओवरसीज सिटीजन्स आफ इण्डिया (ओसीआई) स्टेटस को औजार बना कर विदेशों में भारतीय नागरिकों का उत्पीड़न बंद किया जाय.
केन्द्र व राज्य सरकारों के संस्थानों, सरकारी कम्पनियों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों में आरक्षित रिक्तियों समेत सभी पदों को तत्काल भरा जाय.
सभी बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का अनिवार्य प्रावधान हो.
सभी वंचित जातियों व समुदायों के लिए निजी क्षेत्र में शिक्षा एवं रोजगार में आरक्षण लागू हो.
अग्निपथ योजना को रद्द करो.
राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी की दर रु. ३५,000 प्रति माह तय की जाय.
मजदूर वर्ग विरोधी चार श्रम कोडों को रद्द किया जाय.
पुरानी पेंशन योजना की पुर्नबहाली हो.
असंगठित और अनियमित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा लाभ (स्वास्थ्य, शिक्षा और रिटायरमेण्ट लाभ) दिये जायें. ई.पी.एस. पेंशनरों समेत सभी के लिए मंहगाई भत्ता के साथ रु. १०000 न्यूनतम मासिक पेंशन दी जाय.
ठेका, एड-हॉक, स्कीम, आउटसोर्सिंग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स समेत सभी ठेका मजदूरों को नियमित किया जाय.
महिलाओं के लिए सवेतन मातृत्व अवकाश, कार्यस्थल पर शिशु देखभाल के लिए क्रेश की गारंटी हो. रोजगार एवं प्रमोशन में सभी प्रकार की लैंगिक भेदभाव की नीतियों खात्मा हो.
सभी फसलों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) की C2+50% फार्मूले से कानूनी गारंटी हो.
किसानों व ग्रामीण मजदूरों के सरकारी व निजी सभी कर्जों की पूर्ण माफी हो.
बढ़ी हुई सब्सिडी के साथ खाद एवं अन्य सभी प्रकार की कृषि लागत सामग्री की सस्ती दरों पर समुचित उपलब्धता हो.
बंटाईदार किसानों को कानूनी मान्यता मिले, उन्हें पंजीकृत कर किसानों के सभी लाभ, सुविधायें व अधिकार दिये जायें. भूमिहीनों को सीलिंग सरप्लस, भूदान, धार्मिक मठों एवं परती भूमि का वितरण किया जाये. सभी को आवासीय भूमि की गारंटी हो.
मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी रु. 600 के साथ 200 दिनों के रोजगार की गारंटी हो.
सभी के लिए घर, पीने का पानी, सफाई एवं अन्य नागरिक सुविधाओं की गारंटी हो.
बुलडोजर आतंक का खात्मा हो. झुग्गी-झोंपड़ी व अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को सभी नागरिक अधिकारों के साथ ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ के तहत घर मिले.
सस्ता व सुविधाजनक जनपरिवहन सभी नगरवासियों को मिले.
रोजगार तलाश रहे लोगों के लिए शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाये.
एक अखिल भारतीय जाति जनगणना करा कर आरक्षण के दायरे को बढ़ाया जाय.
शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गृहविहीन परिवारों को मुफ्त घर मिले.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) में हर माह चीनी, दूध, दालें एवं खाद्य तेल के साथ 50 किलो खाद्यान्न मिले.
आवश्यक वस्तुओं एवं जन-सेवाओं की कीमतों पर सख्ती से नियंत्रण लगे.
एस.सी./एस.टी. सब-प्लान 2013, एस.सी./एस.टी. प्रिवेन्शन ऑफ एट्रोसिटीज एक्ट 1989/1995 और मैनुअल स्केवेन्जर्स एक्ट, 2013 समुचित निगरानी के साथ पूरी तरह लागू हों.
सार्वजनिक स्थानों एवं सार्वजनिक परिवहन में विकलांगों के लिए विशेष सुविधाओं की गारंटी हो, उन्हें शैक्षणिक संस्थानों व नौकरियों में 5 प्रतिशत आरक्षण मिले, तथा उनकी आय पर पूर्ण टैक्स माफी के साथ स्वास्थ्य एवं जरूरी सहायक उपकरण सरकार निशुल्क उपलब्ध कराये.
वरिष्ठ नागरिकों, विकलांगों एवं विधवाओं के लिए मंहगाई भत्ता के साथ रु. १०000 न्यूनतम मासिक पेंशन मिले.
सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को समयबद्ध योजना के साथ लागू किया जाये.
संसद एवं विधानसभाओं में ओबीसी कोटा के प्रावधान के साथ 33 प्रतिशत महिला आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू हो. सभी स्थानीय निकायों में अनिवार्यत: 50 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू हो.
यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, ऑनर क्राइम और अंतरजातीय व अंतरधार्मिक संम्बंधों में हिंसा पीड़ित महिलाओं को राज्य द्वारा पूरी सुरक्षा मिले. उनके लिए प्रभावी हैल्पलाइन की उपलब्धता हो.
धार्मिक आधार पर बने सभी व्यक्तिगत कानूनों में महिलाओं के बराबरी के अधिकार को सुनिश्चित किया जाए.
ट्रांसजेण्डर समुदाय के संवैधानिक अधिकारों की गारंटी के साथ नालसा जजमेण्ट के अनुसार उनकी सुरक्षा व जनकल्याण की उचित व्यवस्था हो.
एल.जी.बी.टी.क्यू.आई.ए.+ समुदाय को पूर्ण कानूनी संरक्षण एवं मदद की स्थायी व्यवस्था बने. सेक्सुअल औरिएन्टेशन और जेण्डर आईडेण्टिटी के आधार पर विवाह में भेदभाव को समाप्त करने के लिए कानून बनाया जाय.
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए विशाखा गाइडलान्स का सख्ती से पालन हो. जस्टिस वर्मा कमेटी की सभी सिफारिशों को लागू किया जाय.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को रद्द किया जाय, शिक्षा बजट कुल बजट का 10 प्रतिशत किया जाये.
शिक्षा पूर्णत: निशुल्क हो. स्कूल स्तर पर शिक्षा मातृभाषा में दी जाय. संस्कृत या किसी भी भाषा को जबरन न थोपा जाय.
शिक्षा क्षेत्र में निजी संस्थानों समेत सभी संस्थानों में आरक्षण को लागू किया जाय.
शिक्षण संस्थानों में जातीय भेदभाव खत्म करने पर जोर बने जिसके लिए रोहित वेमुला एक्ट बनाया जाय. उच्च शिक्षण संस्थानों में जेण्डर सेन्सिटाइजेशन अगेन्स्ट सेक्सुअल हैरेसमेण्ट (जीएस-कैश) कमेटी बनाने की अनिवार्यता हो.
स्कूलों में पौष्टिक भोजन के लिए मिड-डे-मील योजना का बजट बढ़ाया जाये. इसमें अण्डा एवं नॉन-वेज का प्रावधान भी हो.
NEET एवं CUET को रद्द करो.
सभी के लिए निशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं, टीकाकरण और सस्ती दवाइयों की उपलब्धता होनी चाहिए.
सुविधायुक्त सरकारी अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गांव-मुहल्ला स्तर तक बनें.
कॉरपोरेट कम्पनियों के हित में जंगल एवं पर्यावरण सुरक्षा के लिए बने कानूनों एवं नीतियों में किये गये बदलावों/संशोधनों को रद्द किया जाय और प्रदूषण फैलाने वाली कम्पनियों व संस्थानों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही हो.
वन अधिकार कानून को कड़ाई से लागू करवाया जाय, इस कानून में किये संशोधनों को वापस किया जाय, जंगल, जमीन एवं संसाधनों पर वनवासियों के अधिकार बहाल हों. जंगलों और अन्य स्थानों से आदिवासियों को विस्थापित करना बंद हो और हसदेव अरण्य में अडानी की खनन परियोजना को तत्काल रद्द किया जाय.
हिमालय एवं अन्य संवेदनशील पर्यावासीय क्षेत्रों में बड़ी निर्माण परियोजनाओं पर रोक लगे. जोशीमठ के लोगों के पुनर्वास- पुनर्निर्माण-स्थिरीकरण के लिए विशेष आर्थिक राहत पैकेज की व्यवस्था की जाये.
अति धनाड्यों पर 1% की दर से सम्पत्ति टैक्स एवं उत्तराधिकार टैक्स अनिवार्य रूप से लागू हो. कॉरपोरेट कम्पनियों की टैक्स दरों में वृद्धि की जाय. कॉरपोरेटों के लम्बित एवं माफ किये जा चुके कर्जों (एनपीए) की वसूली की जाय.
कम्पनी बोर्डों में मजदूरों का प्रतिनिधित्व, वित्तीय पारदर्शिता, राजनीतिक दलों को चन्दा देने पर प्रतिबन्ध, टैक्स चोरी की रोकथाम और कार्यस्थल पर लोकतंत्र जैसे प्रावधानों को शामिल करते हुए कॉरपोरेट जवाबदेही पर एक समग्र कानून बनाया जाना चाहिए.
आधारभूत उद्योगों एवं वित्तीय क्षेत्रों के निजीकरण पर रोक लगे तथा सार्वजनिक क्षेत्र एवं मध्यम व लघु उद्योगों को प्रोत्साहन मिले. नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन नीति को रद्द किया जाय.
जंगलों, तटीय इलाकों एवं परम्परागत फिशिंग जोनों का निजीकरण व व्यवसायीकरण बंद हो.
जीएसटी कानून वापस हो और गुड्स एवं सर्विसेज के लिए एक प्रोग्रेसिव टैक्सेशन नीति बनायी जाय.
आर.टी.आई. कानून को सुदृढ़ बनाया जाय.
जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने और कानून—व्यवस्था बनाने के नाम में मानवाधिकार उल्लंघनों को समाप्त करने के लिए पुलिस और जेल की व्यवस्थाओं में तत्काल सुधार की आवश्यकता है. पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में पुलिस रिफॉर्म किये जायं.
अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए), आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (एएफएसपीए) और नये तीनों क्रिमिनल कोड समेत सभी दमनकारी कानूनों को वापस लिया जाय और सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाय.
जातीय एवं साम्प्रदायिक जनसंहारों और हिरासत में हत्याओं के अपराधों के लिए एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन किया जाय. ऐसे पीड़ितों के लिए मुआवजे की ठोस व्यवस्था बने.
प्लेसेज आफ वरशिप एक्ट 1991 को सख्ती से लागू किया जाय.
अमीर दास आयोग को पुर्नजीवित किया जाय और बिहार में सामंती रणवीर सेना के राजनीतिज्ञों के साथ संम्बंधों की गहन जांच हो.
संघवाद के सिद्धांतों का व्यापक प्रचार—प्रसार हो. राज्यों के बकाये आदि का भुगतान समय पर हो. राज्यपाल के पद को समाप्त किया जाये.
क्षेत्रीय असमता दूर करने के लिए पिछड़े राज्यों को विशेष सहायता पैकेज के साथ विशेष दर्जा मिले.
जम्मू एवं कश्मीर, दिल्ली और पुदुच्चेरि को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाये. लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाये.
पूर्वोत्तर क्षेत्रों में स्वायत्त जिला काउंसिलों को ज्यादा स्वायत्तता दी जाय.असम के कार्बी आंग्लांग को संविधान के अनुच्छेद 244-ए के तहत स्वायत्त राज्य बनाया जाये.
पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना एवं घनिष्ठ सहयोग बनाने की दिशा को मजबूत करना होगा. गुटनिरपेक्षता की नीति को आगे बढ़ाना होगा और भारत के लिए अमेरिका-नीत पश्चिमी देशों के हितों एवं प्राथमिकताओं के मुक्त विदेश नीति का निर्माण करना होगा.
रूस एवं अन्य देशों में धोखे से भाड़े के सैनिकों या हैल्परों के रूप में भेजे गये भारतीय युवाओं को तत्काल वापस लाना होगा.
रंगभेदी नरसंहारी इजरायल के साथ किये गये सभी सैन्य, आर्थिक एवं श्रम समझौतों को रद्द करना होगा और इजरायल के साथ हथियारों के व्यापार पर रोक लगवाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तैयार करने की दिशा में जाना होगा.