Resolution
भाकपा(माले) लिबरेशन की केंद्रीय कमेटी बैठक से पारित प्रस्ताव :
Resolutions passed by the Central Committee

भाकपा(माले) लिबरेशन की केंद्रीय कमेटी बैठक से पारित प्रस्ताव :

15-16 जून 2024, पटना

 

1.  केंद्रीय कमेटी लोकसभा चुनाव परिणामों को मोदी की तानाशाही और भाजपा की पूर्ण राजनीतिक वर्चस्व कायम करने की कोशिशों के खिलाफ आए जनादेश के रूप में स्वागत करती है और लोकतंत्र व संविधान के लिए संघर्ष को निरंतर बनाए रखने के लिए कृत संकल्प है. केंद्रीय कमेटी पार्टी उम्मीदवारों कॉमरेड राजाराम सिंह और कॉमरेड सुदामा प्रसाद को काराकाट और आरा से जीत पर बधाई देती है. हम अगिआओं उपचुनाव जो एक झूठे मुकदमे में कामरेड मनोज मंजिल की सजा सुनाने और उनकी विधान सभा सदस्यता रद्द होने के कारण हुआ, में कामरेड शिव प्रकाश रंजन की जीत पर अगिआआें की जनता का धन्यवाद करते हैं.

2. केंद्रीय कमेटी एनडीए के खिलाफ मजबूत संघर्ष चलाने के लिए इंडिया गठबंधन के प्रयासों की तारीफ करती है और यह संकल्प लेती है कि लोगों की आकांक्षाओं को पूर्ण अभिव्यक्ति देते हुए भाजपा के खिलाफ सभी राजनीतिक पार्टियों को एकजुट करने का प्रयास जारी रहेगा.

3.  2024 के लोकसभा चुनावों में उसके खिलाफ जनादेश के बावजूद, ओडिशा में सत्ता विरोधी लहर, राजनीतिक खालीपन और बदलाव की लोकप्रिय आकांक्षा की लहरों पर सवार हो कर भाजपा सत्ता में आ गयी. 24 साल का मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का कार्यकाल खत्म हो चुका है और भाजपा की कॉरपोरेट परस्त सरकार बन चुकी है, जिसमें वो मोहन मांझी मुख्यमंत्री बने जो कि ग्राहम स्टेंस और उनके दो नाबालिग बच्चों की क्रूर हत्या के लिए दोषी पाये गए दारा सिंह और अन्य की रिहाई के लिए अभियान चलाने के लिए कुख्यात हैं. केंद्रीय कमेटी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और गुजरात की दिशा में ओडिशा को ले जाने की भाजपा की मंशा के तौर पर इसे चिन्हित करती है और लोकतंत्र समर्थक ताकतों से इसके खिलाफ व्यापक एकता और संकल्प के साथ इसका प्रतिवाद करने का आह्वान करती है.

4. फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सपा के दलित उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की जीत के बाद अयोध्या के लोगों के खिलाफ कुटिल दक्षिणपंथी प्रतिक्रिया को खारिज करने का आह्वान केंद्रीय कमेटी करती है. भाजपा समर्थकों और दक्षिण पंथी ईकोसिस्टम ने अयोध्या के हिंदुओं को कृतघ्न और अवसरवादी कहते हुए उनके विरुद्ध घृणा अभियान चलाया जा रहा है और उनके बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है. अयोध्या के वोटरों का यह खलनायिकीकरण भाजपा नेताओं की वोटरों के प्रति संरक्षकवादी और कुटिल प्रवृत्ति का पर्दाफ़ाश करता है.

5. 2024 के लोकसभा चुनावों ने ईवीएम को लेकर और बहुत सारे सवाल, संदेह और अविश्वास पैदा कर दिये हैं. निर्वाचन आयोग को अभी भी यह स्पष्ट करना है कि वो पहले चरण के 11 दिनों के बाद और दूसरे चरण के चार दिनों तक कुल वोटों का आंकड़ा सार्वजनिक करने में क्यूँ विफल रहा है. अभी भी इस बात का कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है कि इस अवधि में 1 करोड़ 7 लाख वोटों और 5.7 प्रतिशत वोट प्रतिशत कैसा बढ़ गया. अब ऐसी रिपोर्टें सामने आ रही हैं कि चुनाव आयोग ने 362 लोकसभा क्षेत्रों में 5,54,598 वोटों को खारिज कर दिया और 140 लोकसभा क्षेत्रों में पड़े वोटों और गिने गए वोटों में अंतर है. चुनाव आयोग से जवाब मांगने के लिए सड़कों पर और अधिक ऊर्जावान हस्तक्षेपों की जरूरत है.

6. एग्जिट पोल स्टॉक मार्केट घोटाले और नरेंद्र मोदी व अमित शाह के बयानों के चलते जो स्टॉक मार्केट हेराफेरी हुई तथा उससे लाभ उठाने के मामले में जांच की सार्वजनिक मांग से केंद्रीय कमेटी सहमति प्रकट करती है. 01 व 02 जून को प्रसारित हुए एग्जिट पोल ने भाजपा और एनडीए की जबरदस्त जीत की भविष्यवाणी की, जिससे निफ्टी और सेंसेक्स में भारी उछाल आया और स्टॉक मार्केट रिकॉर्ड ऊंचाइयों तक पहुंचा. लेकिन जैसे ही 4 जून को परिणाम आने शुरू हुए तो उन्होंने एग्जिट पोल को गलत सिद्ध कर दिया, फलतः स्टॉक मार्केट धराशायी हो गया और लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

7.  नीट की परीक्षा आयोजित करने में भीषण भ्रष्टाचार व्यवस्था-जनित है और प्रतियोगी परीक्षाओं को निजीकरण की तरफ धकेलने वाला है. विभिन्न राज्यों के शिक्षा बोर्ड राज्यों की क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप शैक्षणिक पाठ्यक्रम तय करते रहे हैं. नीट ने भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में एक देश, एक परीक्षा के मॉडल की निरर्थकता को पूरी तरह जाहिर कर दिया है. एनटीए द्वारा परीक्षाएँ आयोजित कराने के खिलाफ और विश्वविद्यालयों द्वारा अपनी प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित करने के पक्ष में केंद्रीय कमेटी संघर्ष जारी रखेगी.

8. दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देना, लोकतंत्र और मतभिन्नता को कुचलने का एक और उदाहरण है, जो कि फासीवाद के भारतीय ब्रांड का अवश्यंभावी लक्षण है. यही उपराज्यपाल, मेधा पाटकर के खिलाफ फर्जी मानहानि के उस मुकदमें के पीछे हैं, जिसमें उन पर दोष सिद्ध हो गया है और अब सजा दिये जाना वक्त की बात है.  केंद्रीय कमेटी ऐसे दमनकारी क़ानूनों के खात्मे तथा सभी राजनीतिक बंदियों और सजा पूरी कर चुके बंदियों की रिहाई के लिए संघर्ष जारी रखेगी.

9. नयी सरकार बनने के कुछ ही हफ्तों के भीतर अरुंधति रॉय व शेख शौकत हुसैन पर मुकदमा चलाने की अनुमति, कारवां के पत्रकारों के खिलाफ एफ़आईआर, छत्तीसगढ़ में दो मुस्लिमों की हत्या, आदिवासी कार्यकर्ता सुनीता पोट्टम की गिरफ्तारी हम देख रहे हैं- ये सभी मामले यही दर्शा रहे हैं कि फासीवादी राजनीति की निरंतरता को प्रदर्शित करने के ये सचेत प्रयास हैं. केंद्रीय कमेटी देश की जनता का आह्वान करती है कि मोदी हुकूमत के खिलाफ अपने प्रतिरोध जारी रखें.

10. नए फौजदारी कानून 01 जुलाई से अस्तित्व में आने वाले हैं. इन क़ानूनों का नागरिक स्वतंत्रता और मानव अधिकारों पर विनाशकारी प्रभाव होगा, वैध राजनीतिक मतभिन्नता और प्रतिवाद को कुचलने में ये कानून बेहद सहयोगी सिद्ध होंगे. केंदीय कमेटी इन तीन फ़ौजदारी कानूनों को वापस लेने की मांग करती है और जनता का आह्वान करती है कि इन क़ानूनों को ‘औपनिवेशीकरण से मुक्ति’ के तौर पर प्रस्तुत करने के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करें क्यूंकि हकीकत में ये नागरिक स्वतंत्रता के खात्मे के लिए औपनिवेशिक काल वाली पुलिस शक्तियों का तंत्रजाल और औपचारिक पुलिस राज्य की शुरुआत है.

11.  एक मुस्लिम महिला को वडोदरा में 462 यूनिटों के आवासीय परिसर में एक फ्लैट आवंटित होने के खिलाफ धर्मांध वाशिंदों का इकट्ठा होना, दरअसल मुसलमानों व दलितों को आवास से वंचित करने के लिए हिंदू कट्टरपंथ का नग्न प्रदर्शन है. व्यापक समाज की ऐसे मामलों में चुप्पी, नफरत फैलाने वालों को मजबूती देती है. नफरत के खिलाफ एकजुट हों, न्याय के लिए एकजुट हों, धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अमानवीयता को खारिज करने के लिए एकजुट हों.

12. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जो 2017 में मंदसौर में किसानों पर छह किसानों की गोली मार कर हत्या के लिए जिम्मेदार थे, उन्हें केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा जाहिर की गयी आपत्तियों का केंद्रीय कमेटी समर्थन करती है. इस अपमान के जख्म पर नमक छिड़कने वाला काम, मोदी सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग ने चरम कृषि संकट को हल करने के लिए कोई कदम ना उठा कर, किसानों की लंबे अरसे से लंबित मांगों- एमएसपी की गारंटी के लिए कानून, पूर्ण कर्ज माफी, बिजली का निजीकरण रद्द करना, उत्पादन की लागत को कम करने तथा बीमा व पेंशन की उपेक्षा करके किया.

13. तीव्र गर्मी की लहर देश के कई राज्यों में लोगों की ज़िंदगी और काम को मुश्किल कर रही है, जिसके नतीजे के तौर पर लोग अपनी ज़िंदगी और आजीविका को खो रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी जो कि उस राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अध्यक्ष भी हैं, जिसकी ज़िम्मेदारी है कि वो आपदाओं की स्थिति में तत्काल कार्यवाही करे.  तीव्र गर्मी की निरंतर जारी लहर का संज्ञान लेना और तीव्र गर्मी की लहर की सर्वाधिक मार झेलने वाले गरीबों और मजदूरों के जीवन को बचाने के लिए आवश्यक आदेश जारी करना तो दूर की बात, प्रधानमंत्री ने एनडीएमए की एक बैठक तक नहीं बुलाई. हम मांग करते हैं कि ऐसे हालात से लड़ने के लिए  एक समग्र गर्मी एक्शन प्लान सूत्रबद्ध किया जाय और वर्तमान गर्मी की लहर में मारे गए लोगों के परिजनों को समुचित मुआवजा दिया जाय.

14.  औपनिवेशिक नस्लभेदी राज्य इज़राइल के हाथों भीषण जनसंहार झेल रहे फिलिस्तीन के प्रति केंद्रीय कमेटी अपनी गहरी एकजुटता को पुनः जाहिर करती है.  इज़राइल द्वारा किए जा रहे भीषण युद्ध अपराधों की आलोचना करते हुए, अमेरिकी प्रशासन और उसके साम्राज्यवादी सहयोगियों की भी केंद्रीय कमेटी निंदा करती है जो इज़राइल को सैन्य सहयोग को बढ़ाने के लिए निरंतर नए झूठ गढ़ रहे हैं तथा उसे आगे और युद्ध अपराधों को करने के लिए मजबूत कर रहे हैं. केंद्रीय कमेटी इस बात के लिए कृत संकल्प है कि यह सुनिश्चित किया जाये कि भारत सरकार फिलिस्तीन के साथ अपनी साम्राज्यवाद विरोधी एकजुटता जारी रखे और किसी भी तरह इज़राइल के जनसंहारी परियोजना का समर्थन न करे.

15. कुवैत में अग्निकांड की त्रासदी में भारत के 41 मजदूरों समेत मारे गए विभिन्न देशों के मजदूरों के प्रति केंद्रीय कमेटी गहरा शोक और अफसोस जाहिर करती है. केन्द्रीय कमेटी, भारत सरकार से मांग करती है कि घायलों को उचित इलाज मुहैया करवाया जाये और मृतकों के परिवारों को मुआवजा दे. देश में घटते रोजगार के अवसरों और कम मजदूरी के चलते दूसरे देशों में बड़ी संख्या में जाने वाले प्रवासी मजदूरों के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति केंद्र सरकार की बेरुखी को त्यागने का यही वक्त है.

16.  छत्तीसगढ़ के आदिवासियों पर भाजपा सरकार के सतत हमले, जिसके परिणाम स्वरूप एनकाउंटर की आड़ में लगातार क्रूर हत्याएं हो रही हैं, उनकी केंद्रीय कमेटी आलोचना करती है. पिछले साल विधानसभा में जीत और अब लोकसभा में पूर्ण जीत से मजबूत हो कर मोदी हुकूमत और संघ ब्रिगेड, छत्तीसगढ़ के लोगों पर अपना फासीवादी प्रहार तेज करेंगे. हम जनता से आह्वान करते हैं कि छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधनों की कॉरपोरेट लूट के खिलाफ आदिवासियों के साथ खड़े हों.

17. केंद्रीय कमेटी मानती है कि मनरेगा का आवंटन कम से कम 2.5 लाख करोड़ रुपया होना चाहिए ताकि ग्रामीण बेरोजगारी के दंश से निजात पाने में यह योजना कुछ हद तक कारगर बने. यह भी जरूरी है कि शहरी व ग्रामीण गरीबों के लिए राज्य एक समग्र आवासीय योजना बनाए. तीन करोड़ घरों की घोषणा अपर्याप्त है, इसके अलावा प्रति आवास धन आवंटन भी अपर्याप्त है और इसे कम से कम प्रति आवास सात लाख रुपया किया जाना चाहिए.